विद्याग्रामीन परीक्षा परिषद फाउंडेशन (VGPPF) ( स्थापना वर्ष : 1996 )
संस्थापक : स्वर्गीय डॉ. निलेश प्रसाद यादव जी
सन् 1996 में स्वर्गीय डॉ. निलेश प्रसाद यादव जी द्वारा स्थापित विद्याग्रामीन परीक्षा परिषद फाउंडेशन (VGPPF) एकऐसी सामाजिक-शैक्षणिक संस्था है जिसने बिहार की धरती पर शिक्षा के क्षेत्र में जन-जागरण की अलख जगाई। उससमय जब ग्रामीण भारत शिक्षा, संसाधन और अवसरों की दृष्टि से पिछड़ा हुआ था, तब एक संकल्पशील पुरुष—डॉ. यादव जी—ने समाज के अंतिम पायदान पर खड़े गरीब, दलित, पिछड़े एवं असहाय बच्चों के भविष्य की जिम्मेदारी अपनेकंधों पर उठा ली।
उन्होंने न केवल यह माना कि “शिक्षा ही जीवन का सबसे बड़ा हथियार है”, बल्कि इसे व्यवहार में उतारा। उन्होंने गाँव-गाँव जाकर उन घरों के दरवाज़े खटखटाए जहाँ शिक्षा का नाम तक अनजान था। मिट्टी की कक्षाओं में दीपक की रोशनीमें बच्चों को पढ़ाया, संस्कारों से सींचा, और आत्मविश्वास से भर दिया।
उनके अथक प्रयासों का ही परिणाम था कि विद्याग्रामीन परीक्षा परिषद फाउंडेशन (VGPPF) बहुत कम समय में एकप्रतिष्ठित और जन-आधारित शिक्षण संस्था के रूप में उभरी।
शिक्षा की अलख जगाने और गरीबों के बच्चों को मुख्यधारा में लाने के इस अभियान की बिहार सरकार ने वर्ष 2004 मेंप्रशंसा की और परिषद को एक वैध एवं मान्यता प्राप्त बोर्ड के रूप में स्वीकार किया।
स्वर्गीय डॉ. निलेश प्रसाद यादव जी का दृष्टिकोण
डॉ. यादव जी का विश्वास था कि “जब तक गाँव का बच्चा शिक्षित नहीं होगा, तब तक भारत आत्मनिर्भर नहीं बनसकता।”
उन्होंने अपनी सम्पूर्ण जीवन यात्रा शिक्षा, समाजसेवा और ग्रामीण उत्थान को समर्पित कर दी। उन्होंने सदा यह कहा —
“गरीबी कोई अभिशाप नहीं, अवसरों की कमी है — और शिक्षा ही वह द्वार है जो इन सीमाओं को तोड़ सकता है।”
उनकी दूरदृष्टि, त्याग, और कर्मठता ने हजारों बच्चों के जीवन को नयी दिशा दी। आज भी, VGPPF से शिक्षा प्राप्तअसंख्य विद्यार्थी सरकारी एवं गैर-सरकारी संस्थानों में कार्यरत हैं, और अपने परिश्रम, ज्ञान और नैतिकता से समाज कानाम ऊँचा कर रहे हैं।
मान्यता एवं वर्तमान स्थिति
VGPPF ने अपनी निरंतर निष्ठा और समर्पण से शिक्षा की एक सशक्त परंपरा स्थापित की है।
बिहार सरकार द्वारा इसे वर्ष 2004 में वैध बोर्ड के रूप में मान्यता प्रदान की गई, और तब से अब तक यह संस्था शिक्षा केक्षेत्र में एक प्रेरणास्रोत बनी हुई है।
किन्तु, यह अत्यंत खेद का विषय है कि
“इतना सब कुछ करने के बाद भी, आज तक विद्याग्रामीन परीक्षा परिषद फाउंडेशन (VGPPF) को COBSE (Council of Boards of School Education in India) की सूची में सम्मिलित नहीं किया गया है।”
यह केवल प्रशासनिक औपचारिकता या राजनीतिक कारणों की देरी का परिणाम है — न कि संस्था की गुणवत्ता, निष्ठाया शैक्षणिक योगदान में किसी भी प्रकार की कमी का।
फिर भी, परिषद ने कभी अपना पथ नहीं छोड़ा, और आज भी वही उत्साह, वही समर्पण, और वही निष्ठा लिए समाज केसबसे कमजोर तबके के बच्चों के लिए कार्य कर रही है।---
परिषद के प्रमुख उद्देश्य
1. ग्रामीण एवं आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण, सुलभ एवं संस्कारित शिक्षा प्रदान करना
2. शिक्षा के माध्यम से सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक उन्नति को प्रोत्साहित करना।
3. विद्यार्थियों में राष्ट्रप्रेम, अनुशासन, और नैतिक मूल्यों का विकास करना।
4. ग्रामीण युवाओं को आत्मनिर्भर बनाना एवं रोजगारोन्मुखी शिक्षा प्रदान करना।
5. शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता, समान अवसर और गुणवत्ता सुनिश्चित करना।
6. हर बच्चे तक शिक्षा का अधिकार पहुँचाना — चाहे वह किसी भी वर्ग, जाति या धर्म से संबंधित क्यों न हो।
हमारी पहचान
आज VGPPF न केवल एक परीक्षा परिषद है, बल्कि एक “शैक्षणिक आंदोलन” बन चुका है।
इसने हजारों परिवारों में शिक्षा का प्रकाश फैलाया है।
हर वह विद्यार्थी जो इस परिषद से जुड़ा, वह आज समाज में आत्मसम्मान और आत्मनिर्भरता के साथ खड़ा है।
हमारा संकल्प
“हर गाँव शिक्षित बने, हर बच्चा समर्थ बने।”
स्वर्गीय डॉ. निलेश प्रसाद यादव जी की यह विरासत आज भी हमारे मार्गदर्शन का दीपक है।
उनके सपनों को साकार करने का दायित्व अब हमारे कंधों पर है — और विद्याग्रामीन परीक्षा परिषद फाउंडेशन पूरेसमर्पण के साथ इस दिशा में आगे बढ़ रहा है।