शिक्षा से सशक्त – शिक्षा से समृद्ध
स्थापना वर्ष: 1996 | स्थान: बिहार (अत्यंत पिछड़ा ग्रामीण क्षेत्र)
विद्या ग्रामीण परीक्षा परिषद की स्थापना वर्ष 1996 में उस समय हुई जब बिहार के ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में शिक्षा की पहुँच बहुत ही सीमित थी। गाँवों में रह रहे गरीब, किसान, मज़दूर और वंचित वर्ग के बच्चों के लिए शिक्षा केवल एक सपना बनकर रह गई थी। अवसरों की कमी, आर्थिक तंगी, गुणवत्तापूर्ण शिक्षण संसाधनों की अनुपलब्धता और मार्गदर्शन के अभाव में ग्रामीण प्रतिभाएँ दबकर रह जाती थीं। इसी पृष्ठभूमि में विद्या ग्रामीण परीक्षा परिषद का गठन किया गया, जिसका मुख्य उद्देश्य था ग्रामीण और वंचित बच्चों तक शिक्षा का उजाला पहुँचाना, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए समान अवसर उपलब्ध कराना और शिक्षा को केवल रोजगार का साधन न बनाकर आत्मनिर्भरता एवं सामाजिक उत्थान का माध्यम बनाना।
शिक्षा की मुख्यधारा से ग्रामीण बच्चों को जोड़ना
गाँव-गाँव जाकर शिक्षा को सुलभ बनाना
गरीब और पिछड़े तबके को बिना भेदभाव समान अवसर देना
प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी
SSC, रेलवे, बैंकिंग, UPSC, BPSC, शिक्षक भर्ती और पुलिस भर्ती जैसी परीक्षाओं के लिए मार्गदर्शन
टेस्ट सीरीज़, नोट्स, मॉक इंटरव्यू और क्विज़ की सुविधा
आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को सहयोग
निशुल्क पुस्तकालय और कोचिंग
स्कॉलरशिप, भोजन और वस्त्र सहायता
विशेष रूप से अनाथ और बेसहारा बच्चों की मदद
करियर गाइडेंस और काउंसलिंग
10वीं और 12वीं के बाद छात्रों को सही दिशा दिखाना
सरकारी नौकरी, निजी क्षेत्र, व्यवसाय और उद्यमिता पर मार्गदर्शन
नैतिक शिक्षा और सामाजिक जागरूकता
बच्चों में मूल्य, अनुशासन और जिम्मेदारी की भावना विकसित करना
समाजसेवा, पर्यावरण संरक्षण, महिला सशक्तिकरण, स्वास्थ्य और स्वच्छता पर जागरूकता अभियान चलाना
गाँव से शहर तक शिक्षा का सेतु – संस्था ने हज़ारों छात्रों को ग्रामीण अंधेरे से शहरी शिक्षा की रोशनी तक पहुँचाया।
निःशुल्क एवं रियायती शिक्षा सामग्री – किताबें, नोट्स, गाइड, टेस्ट सीरीज़ और लाइब्रेरी उपलब्ध कराना।
अनुभवी शिक्षकों का मार्गदर्शन – आधुनिक तकनीक और पारंपरिक पद्धति का समन्वय।
गरीब और अनाथ बच्चों को विशेष सहयोग – स्कॉलरशिप, कपड़े और भोजन की व्यवस्था।
ग्रामीण प्रतिभाओं का संवर्धन – पंचायत स्तर से राष्ट्रीय स्तर तक प्रतियोगिताओं में भागीदारी।
करियर काउंसलिंग और जागरूकता अभियान – शिक्षा से आगे जीवन की राह तय करने में मार्गदर्शन।
सामाजिक सहयोग – समाजसेवियों, शिक्षाविदों और स्थानीय जनता का सक्रिय समर्थन।
हज़ारों छात्रों को शिक्षा से जोड़ना – अब तक हजारों गरीब और वंचित बच्चों को निःशुल्क मार्गदर्शन, कोचिंग और करियर काउंसलिंग दी गई।
सरकारी सेवाओं में चयन – परिषद के सैकड़ों छात्र रेलवे, SSC, बैंक, पुलिस, आर्मी और शिक्षक भर्ती में सफल हुए।
उच्च शिक्षा में प्रवेश – अनेक छात्रों ने राज्य और राष्ट्रीय स्तर की यूनिवर्सिटीज़ एवं संस्थानों में प्रवेश पाया।
सामाजिक परिवर्तन – शिक्षा के साथ-साथ संस्था ने नशा मुक्ति, बाल विवाह विरोध, महिला शिक्षा और पर्यावरण जागरूकता जैसे अभियानों को गति दी।
स्थानीय से राष्ट्रीय स्तर तक मान्यता – परिषद को शिक्षा सुधार और ग्रामीण विकास में योगदान के लिए कई बार सम्मानित किया गया।
हर गाँव में शिक्षा केंद्र स्थापित करना
डिजिटल लर्निंग (ऑनलाइन क्लास और मोबाइल ऐप) को ग्रामीण स्तर तक पहुँचाना
एक गाँव – एक लाइब्रेरी अभियान चलाना
विशेष ग्राम छात्रवृत्ति कोष (Scholarship Fund) का निर्माण
लड़कियों की शिक्षा पर विशेष ध्यान देना
ग्रामीण प्रतिभाओं को राज्य, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आगे बढ़ाना
विद्या ग्रामीण परीक्षा परिषद केवल एक संस्था नहीं, बल्कि शिक्षा आंदोलन है। हमारा लक्ष्य है कि कोई भी बच्चा केवल पैसों की कमी या पिछड़ेपन की वजह से अपने सपनों से वंचित न रहे, हर गाँव में शिक्षा, आत्मनिर्भरता और जागरूकता की मशाल जले और ग्रामीण भारत भी आधुनिक भारत के साथ कदम से कदम मिलाकर चल सके।